Donald Trump भारत पर हमलावर क्यों? जानकर चौंक जाएंगे

 

लेखक: प्रभात कुमार राय, विदेश मामलों के विशेषज्ञ

अपने विगत कार्यकाल में राष्ट्रपति ट्रंप पाकिस्तान को वैश्विक जेहादी आतंकवादियों को पनाह देने वाला और परवरिश करने वाला सबसे खतरनाक और निकृष्ट मुल्क कहकर संबोधित करते थे। वर्तमान द्वितीय कार्यकाल में आश्चर्यजनक तौर पर डोनाल्ड ट्रंप के लिए पाकिस्तान सबसे सबसे प्यारा दुलारा मुल्क बन गया है। हुकूमत ए पाकिस्तान ने डोनाल्ड ट्रंप के नाम की नोबेल प्राइज के लिए सिफारिश क्या कर दी है कि पाकिस्तान के वास्तविक जेहादी चरित्र को पूर्णतः नकार करके और उसके सारे गुनाहों को दरकिनार करके राष्ट्रपति ट्रंप ने उसको अपने गले से लगा लिया है। स्मरण कीजिए 10 मई को राष्ट्रपति ट्रंप सोशल मीडिया पर ऐलान किया था कि वाशिंगटन की मध्यस्थता में हुई बातचीत के तत्पश्चात भारत और पाकिस्तान पूर्ण और तत्काल संघर्ष विराम अंजाम देने के लिए सहमत हो गए हैं। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा तकरीबन 50 दफा दोहराए गए इस दावे को और आगे भविष्य में ना जाने कितनी दफा दोहराया जाएगा। 

भारत सरकार ने राष्ट्रपति ट्रंप के दावे के कदाचित नहीं स्वीकार किया कि ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और भारत के मध्य जारी सैन्य संघर्ष में युद्ध विराम डोनाल्ड ट्रंप ने अंजाम दिलवाया था। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किसी भी तीसरे पक्ष के सक्रिय हस्तक्षेप से भारत सरकार ने स्पष्ट इनकार कर दिया है। यही प्रस्थान बिंदु है, जहां से डोनाल्ड ट्रंप की हमलावर शत्रुता भारत के विरुद्ध प्रारम्भ होती है। राजनेताओं के मध्य स्थापित हुए व्यक्तिगत रिश्ते किसी मुल्क की विदेश नीति का कदापि आधार नहीं बन सकते हैं। अंतरराष्ट्रीय कूटनीति और विदेश नीति में  केवल राष्ट्रीय हित ही सर्वोपरि होते हैं। राष्ट्रीय हितों के सरोकार अंतरराष्ट्रीय संबंधों और विदेश नीति का सदैव ही आधार स्तंभ होते हैं। ग्लोबल इकॉनमी का नारा अमेरिका द्वारा ही बुलंद किया गया था। आज के दौर में डोनाल्ड ट्रंप की कयादत में दुनिया को ग्लोबल विलेज बनाने का सपना चूर-चूर हो चुका है।

अंतरराष्ट्रीय संबंधों की अत्यंत कड़वी सच्चाई को हाल ही में भारत और अमेरिका के मध्य कूटनीतिक संबंधों में आ गई कटुता के आइने में देखा और परखा जा सकता है। राष्ट्रपति ट्रंप दूसरे कार्यकाल में अंजाम दिए जा रहे सारे कारनामों के फलस्वरुप भारत के राष्ट्रीय हितों को गहन क्षति पहुंच रही है। राष्ट्रपति ट्रंप के कारनामों से अमेरिका भी गहरे गर्त में गिरता जाएगा। भारत की दोस्ती और भरोसा गंवाकर आखिरकार अमेरिका द्वारा चीन से किस तरह से  मुकाबला किया जा सकेगा। व्यक्तिगत संबंधों के आधार पर भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपना मित्र का कहकर उच्चरित किया करते हैं। 

यह कटु तथ्य स्पष्ट तौर पर विश्व पटल पर उजागर हो चुका है कि अपने कथित परम मित्र के नेतृत्व में चलने वाले देश भारत का कितना अधिक नुकसान करने पर डोनाल्ड ट्रंप उतारु हो गए हैं। पाकिस्तान अपने जन्म काल से ही भारत के दुर्भाग्यपूर्ण विभाजन के तत्पश्चात एक शत्रु देश बन गया। भारत और पाकिस्तान के मध्य चार बड़े सैन्य युद्ध अंजाम दिए जा चुके हैं। इन चारों सैन्य युद्धों में बुरी तरह से शिकस्त खाकर और भारत के विरुद्ध सीधा युद्ध करने की कुव्वत नहीं रख सकने के कारणवश पाकिस्तान के हुक्मरॉन विगत तकरीबन 37 वर्षों से भारत के विरुद्ध कश्मीर में प्राक्सी बार संचालित कर रहे हैं। 

पाकिस्तान पर फिदा ट्रंप क्यों बिछा रहे रेड कारपेट!

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का और उसके सैन्य कमांडर इन चीफ जनरल आसिफ मुनीर का रेड कारपेट बिछाकर राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा व्हाइट हाउस में खैरमक़दम अंजाम दिया गया। आजकल राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा पाक हुक्मरॉनों निरंतर प्रश्रय और बढ़ावा दिया जा रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और कमांडर का अभिनंदन करते हुए में फरमाया  कि असल में हमारे पास महान नेता आए हैं। राष्ट्रपति ट्रंप के संबोधन के मुताबिक पाकिस्तान के प्रधानमंत्री और पाकिस्तान के फील्ड मार्शल शानदार इंसान है। इस घटनाक्रम से स्पष्ट तौर से सिद्ध हो जाता है कि राष्ट्रपति ट्रंप भारत के प्रति किस कदर शत्रुतापूर्ण व्यवहार कर रहे हैं। हाल ही में सऊदी अरब और पाकिस्तान के मध्य संपन्न हुई सैन्य संधि जिसे स्ट्रैटेजिक म्युचुअल डिफेंस एग्रीमेंट शीर्षक प्रदान किया गया, इस सऊदी-पाक सैन्य संधि को अंजाम तक ले जाने की पृष्ठभूमि में जो शख्सियत विद्यमान है वो है अमेरिका का राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप।  

दूसरे विश्व युद्ध के बाद अभी तक गल्फ मुल्कों को सैन्य संरक्षण अमेरिका प्रदान करता रहा है। अब मुस्तक़बिल में गल्फ मुल्कों को सैन्य संरक्षण अमेरिका का सबसे प्यारा देश बन गया पाकिस्तान उपलब्ध कराएगा। क्योंकि विश्व पटल पर पाकिस्तान की एकमात्र ऐसा इस्लामिक देश है, जिसके पास परमाणु अस्त्रों की अत्यंत विकट शक्ति विद्यमान है। हालांकि इस्लामी देशों की कतार में अमेरिका का प्रबल शत्रु देश ईरान भी परमाणु शक्ति संपन्न देश बन जाने ने के कगार पर खड़ा हुआ है। ऑर्गेनाइजेशन का इस्लामिक कंट्रीज (ओआईसी) का लीडर मुल्क सऊदी अरब रहा है। डोनाल्ड ट्रंप सऊदी अरब को भारत का शत्रु और पाकिस्तान का परम मित्र बनने पर आमादा हो गए हैं। अपने चेहते देश पाकिस्तान पर डोनाल्ड ट्रंप ने केवल 19 प्रतिशत  टेरिफ आयद किया है। अमेरिकी राष्ट्रपति ने ऐलान किया है कि पाकिस्तान के तेल भंडारों के विकास पर भी जबरदस्त इमदाद प्रदान की जाएगी।

अमेरिका को अगेन ग्रेट और अमेरिका फर्स्ट बनाने का नारा बुलंद करने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने राष्ट्रपति चुनाव में बड़े-बड़े एलान किए थे यह कि वह दो दिनों के अंदर यूक्रेन-रूस की जंग को समाप्त कर देंगे और गाजा जंग का खात्मा कर देंगें। राष्ट्रपति पुतिन और प्रधानमंत्री नेतन्याहू को कूटनीतिक दबाव में लेने में नाकाम रहे, डोनाल्ड ट्रंप अब रूस-यूक्रेन युद्ध की तोहमत को भारत पर थोपने में लगे हुए हैं। ट्रंप साहब फरमा रहे हैं कि क्योंकि भारत बहुत बड़ी मात्रा में रुस से तेल खरीद रहा है, अतः वह इस युद्ध को जारी रखने के लिए रूस की आर्थिक मदद करने के लिए भारत ही जिम्मेदार है। 

सर्वविदित है कि लोकतांत्रिक भारत की तुलना साम्यवादी चीन द्वारा रूस में कहीं अधिक तेल खरीदा जा रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप की गुस्ताखी देखिए कि उनके द्वारा चीन के मुकाबले में दोगुना टैरिफ भारत पर आयद कर दिया गया। साम्यवादी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ट्रंप द्वारा थोपे गए टैरिफ के जवाब में अमेरिका पर दो गुना टैरिफ आयद कर दिया गया है। फिर क्या था ट्रंप ने चीन पर टैरिफ बहुत कम कर दिया। लोकतांत्रिक भारत ने वस्तुतः अभी तक अत्यंत सदाशयता के साथ काम लिया है और अमेरिकी टैरिफ का कदाचित कड़ा प्रति उत्तर नहीं दिया है। अमेरिका के नेतृत्व में नाटो सैन्य संगठन के यूरोपियन देश रूस के साथ कितना बड़ा व्यापार यूक्रेन युद्ध के दौर में जारी रखे हुए हैं। इस जीवंत तथ्य पर कोई तल्ख टिप्पणी ट्रंप आखिरकार क्यों नहीं करते हैं? भारत पर लगाए गए बुनियाद इल्जाम के तहत 27 अगस्त को डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर आयाद किए गए 25 प्रतिशत टैरिफ को बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर दिया।  

हालांकि 17 सितंबर को  प्रधानमंत्री मोदी के जन्मदिन पर राष्ट्रपति ट्रंप ने उनको बधाई दी और फिर से एक दफा जोरदार तारीफ़ कर दी तो ऐसा प्रतीत हुआ कि दोनों राजनेताओं के मध्य व्यक्तिगत रिश्ते में एक बार फिर से गर्मजोशी दिखाई दे रही है। लेकिन कुछ दिन के पश्चात  फिर से ट्रंप द्वारा भारत विरोधी तेवर प्रकट करते हुए एच-1बी वीज़ा के आवेदन पर एक लाख डालर अर्थात 88 लाख रुपयों की भारी भरकम फीस आयद कर दी गई। अमेरिका जाकर तालीम हासिल करने वाले और नौकरी करने के लिए इच्छुक भारतीयों पर इसका गंभीर असर पड़ने वाला है।

भारतीय इंजीनियरों और तकनीक विशेषज्ञों का अमेरिका की सिलीकॉन वैली के विकास में महत्वपूर्ण योगदान कायम बना रहा है। अमेरिकी तकनीकी जगत और व्यवसायिक क्षेत्र में इस भारतीय योगदान को सदैव ही तस्लीम करता रहा है। फिर इस तरह के एच-1 वीजा की कठोर शर्तों को आयाद करने की पृष्ठभूमि में डोनाल्ड ट्रंप का क्या मक़सद हो सकता है। अमेरिका के जानकारों की राय है कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिका ग्रेट अगेन और अमेरिका फर्स्ट के चुनावी नारों पर अमल दरामद करने चल पड़े हैं, ताकि अधिक से अधिक नौकरियां अमेरिकियों को हासिल हो जाएं। इसी के लिए ऐसी कठोर नीतियों वह अपनाया जा रहा है। उनके मुताबिक अमेरिकी तकनीशियन और इंजीनियरों को बेहतर ट्रेनिंग और रोजगार के अवसर हासिल हो सकें, इसके लिए एच-1बी वीजा की शर्तों को अत्यधिक कठोर बनाय दिया गया है। विश्व पटल पर भारत और अमेरिका सबसे अधिक शक्तिशाली और शानदार लोकतंत्र है।       

आजादी हासिल करने के पश्चात भारत अपनी रक्षा सामग्री के लिए रूस पर निर्भर रहा है। अमेरिका अपने डिफेंस प्रोडक्ट्स को भारत के बाजार में बेचना चाहता है। इस मुद्दे पर अमेरिका के खरबों रूपों  के हथियार भारत के बाजार पर कब्जा जमाना चाहते हैं। कम से कम भारत के बाजार में अपनी एक जगह तो कायम करना ही चाहते हैं। भारत पर आर्थिक और कूटनीतिक दाबाव कायम करके अमेरिका चाहता है कि रूस के साथ भारत के व्यापारिक ताल्लुकात शिथिल पड़ जाएं। 

डोनाल्ड ट्रंप को बहुत उम्मीद थी कि भारत में दक्षिणपंथी सरकार आने के तत्पश्चात भारत और अमेरिका के संबंध रूस के मुकाबले में कहीं ज्यादा ताकतवर हो जाएंगे। भारत के राष्ट्रीय हितों को मद्देनजर नजर रखते हुए प्रधानमंत्री मोदी की सरकार रूस के साथ अपने ऐतिहासिक ताल्लुकात को और अधिक मजबूत बनाने में लग गई। जब भारत ने रूस है एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीद लिया तो फिर अमेरिकी सरकार को बड़ा झटका लगा जो कि भारत में अपने रक्षा उत्पादन के लिए बड़ा बाजार हथियाने की सोच रही थी।

हाल में ही राष्ट्रपति ट्रंप ने ऐलान कर दिया कि विदेशों में निर्मित ब्रांडेड दवाओं पर एक  अक्टूबर 2025 से 100 प्रतिशत टैरिफ लागू हो जाएगा। भारत में निर्मित जेनेरिक और ब्रांडेड मेडिसिन बड़ी तादाद में अमेरिका को निर्यात की जाती है। अमेरिका में दस में से नौ मेडिकल प्रिस्क्रिप्शन भारत की मेडिसिन के  होते हैं। क्योंकि भारतीय मेडिसिन अन्य देशों की ब्रांडेड मेडिसिन के मुकाबले बेहद सस्ती होती हैं। भारतीय मेडिसिन से अमेरिकन स्वास्थ्य सेवा जगत को अरबों डॉलर की बचत होती रही है। डोनाल्ड ट्रंप भारत के साथ-साथ अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण तौर पर अमेरिका पर भी हमला कर रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप नोबेल पीस प्राइज हासिल करने की अपनी सनक में आगे देखना है कि क्या-क्या नए गुल खिलते हैं।


लेखक: प्रभात कुमार राय, विदेश मामलों के विशेषज्ञ

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