रिपोर्ट : अजीत कुमार पाण्डेय
नई दिल्ली : मालेगांव (महाराष्ट्र) के जलकू में अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद और जाट बावीसी ने शहीद भगत सिंह की जयंती पर एक ऐतिहासिक समारोह आयोजित किया। महाराष्ट्र के शिक्षा मंत्री दादा भाई भूसे और राष्ट्रीय अध्यक्ष रामावतार पलसानिया की उपस्थिति में, महाराजा सूरजमल के वंशजों ने सामाजिक भाईचारे और एकजुटता का ऐसा संदेश दिया, जिसने पूरे भारतवर्ष का ध्यान खींचा है। यह समारोह जाट समुदाय के मजबूत नेतृत्व और एकता की कहानी कहता है।
महाराष्ट्र के मालेगांव स्थित जलकू गांव ने हाल ही में एक अविस्मरणीय नज़ारा देखा। मौका था शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती का, लेकिन इस आयोजन को खास बना दिया जाट बावीसी और अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद की ज़बरदस्त भागीदारी ने। भारत की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले शूरवीर को श्रद्धांजलि देने के बहाने, जाट समुदाय ने पूरे देश को अपनी अटूट एकजुटता का संदेश दिया।
इस ऐतिहासिक पहल ने दिखा दिया कि कैसे एक युवा क्रांतिकारी का बलिदान आज भी समाज को एक सूत्र में पिरोने की ताकत रखता है।
महाराष्ट्र के मंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष की मौजूदगी में 'जाट शक्ति' का प्रदर्शन
समारोह की महत्ता इस बात से और बढ़ गई कि इसमें महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा मंत्री दादा भाई भूसे और अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामावतार पलसानिया जैसे कद्दावर चेहरे मौजूद थे। उनकी उपस्थिति ने न केवल आयोजन को गरिमा प्रदान की, बल्कि जाट बावीसी के सामाजिक कार्यों और मजबूत नेतृत्व को भी राष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृति दी।
मंच से दिए गए ओजस्वी भाषणों में, वक्ताओं ने महाराजा सूरजमल के शौर्य और सामाजिक न्याय के मूल्यों को याद किया।
मुख्य अतिथि: महाराष्ट्र सरकार के शिक्षा मंत्री दादा भाई भूसे
प्रमुख उपस्थिति: अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामावतार पलसानिया
आयोजक: जाट बावीसी-मालेगांव
लक्ष्य: शहीद भगत सिंह को श्रद्धांजलि और सामाजिक भाईचारे को मजबूत करना
मनु चौधरी ‘दांतल’ (प्रदेश अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश-अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद) ने समाज के बंधुओं के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि, "आप सभी की एकजुटता ने पूरे भारतवर्ष में एक सशक्त और सकारात्मक संदेश दिया है। जाट बावीसी ने यह साबित कर दिया कि सामाजिक भाईचारा ही हमारी सबसे बड़ी शक्ति है।"
क्यों जरूरी है जाट समाज की यह 'एकजुटता'?
यह समारोह महज़ एक जयंती का कार्यक्रम नहीं था, यह सामाजिक नेतृत्व और भविष्य की दिशा तय करने वाला एक मंच था। आज के दौर में जब समाज को बांटने वाली ताकतें सक्रिय हैं, तब जाट समुदाय द्वारा एकजुटता और सामाजिक भाईचारे का संदेश देना, राष्ट्रीय एकता के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
जाट बावीसी-मालेगांव के समाज बंधुओं की ज़बरदस्त भागीदारी ने यह स्पष्ट कर दिया कि: सामाजिक न्याय और राष्ट्रप्रेम आज भी समुदाय के मूल में है। युवा नेतृत्व भगत सिंह जैसे महान क्रांतिकारियों के आदर्शों से प्रेरणा ले रहा है।
महाराजा सूरजमल के वंशज आज भी अपने सामाजिक और राष्ट्रीय कर्तव्यों के प्रति सजग हैं। अंतर्राष्ट्रीय जाट संसद ने इस ऐतिहासिक सफलता के लिए जाट बावीसी और सभी समाज बंधुओं का तहेदिल से आभार व्यक्त किया है।
मालेगांव से निकला यह संदेश दूर तक जाएगा, जो आने वाले समय में देश के सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों पर भी अपनी छाप छोड़ सकता है। यह दिखाता है कि जब कोई समाज एकजुट होता है, तो वह न केवल अपने इतिहास का सम्मान करता है, बल्कि अपने भविष्य को भी मजबूती से गढ़ता है।
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अजीत आनंद बूस्टर ब्लॉग पर आपका बहुत बहुत हार्दिक अभिनंदन। आपके फीडबैक और एक सलाह के लिए हम आभारी रहेंगे। तहे दिल से शुक्रिया।